Saturday, April 23, 2016

लाल किले का इतिहास | Red Fort History In Hindi

लाल किला / Lal Kila 1857 तक तकरीबन 200 सालो तक मुगल साम्राज्य का निवास स्थान था. लाल किला / Red Fortदिल्ली में है. मुगल शासनकाल में लाल किला मुख्य किले के रूप में था, ब्रिटिशो के लगभग सभी कार्यक्रम लाल किले में ही होते थे. लाल किले का निर्माण 1648 में पाँचवे मुगल साम्राज्य शाह जहाँ ने अपने महल के रूप में बनवाया था. लाल किला पूरी तरह से लाल पत्थरो का बना होने के कारण उसका नाम लाल किला पड़ा.
1546 में इस्लाम शाह सूरी द्वारा बनाये सलीमगढ़ किले की तरह ही लाल किले का भी निर्माण किया गया था. इस खुबसूरत किले में रंगमंच की कतारे बनी हुई है जो पानी के चैनल से जुडी हुई है और यह नहर-ए-बहिश्त कहा जाता है. यह किला मुग़ल शासक शाहजहाँ के शासनकाल की रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है. मुस्लिम परंपराओ और प्रतिमानों के अनुसार ही इस किले का निर्माण किया गया था. लाल किले में हमें मुस्लिम महलो की प्रतिकृतिया दिखाई देती है, साथ भी लाल किले में हमें पर्शियन परंपराओ की छवि भी दिखाई देती है. किले के बाहर एक मनमोहक गार्डन भी है लेकिन लाल किले में बना गार्डन हमें दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, कश्मीर, ब्रज और रोहिलखंड के गार्डन से थोडा अलग दिखाई देता है. सलीमगढ़ किले के साथ ही लाल किले को भी 2007 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल किया गया था.
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले के मुख्य द्वार पर तिरंगे को फहराते है और एक भाषण भी देते है.

दिल्ली के लाल किले का इतिहास | Red Fort History In Hindi

शाह जहाँ ने 1638 में जब अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया तभी लाल किले का निर्माण करवाया. वास्तविक रूप से देखा जाये तो सफ़ेद और लाल शाह जहाँ के पसंदीदा रंग है, लाल किले को आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी ने ही डिजाईन किया था, और उन्होंने ने ही ताज महल का भी निर्माण किया था. यह किला यमुना नदी के पास ही बना हुआ है, और इसी वजह से लाल किले की दीवारे और भी मनमोहक नज़र आती है. लाल किले का निर्माणकार्य 13 मई 1638 को शुरू हुआ था. और शाह जहाँ के नियंत्रण में इसका निर्माण कार्य 1648 में पूरा हुआ. दुसरे मुगल किलो की तरह ही इस किले की सीमा पर बनी दीवारे भी सलीमगढ़ किले की तरह असममित ढंग से बनी हुई है. उस समय मनमोहक लाल किला बनने की वजह से दिल्ली को शाहजहानाबाद कहा जाता था. शाह जहाँ के शासन काल में लाल किला उनके शासनकाल की रचनात्मकता का प्रतिक माना जाता था. शाह जहाँ के बाद उनके उत्तराधिकारी औरंगजेब ने कृत्रिम मोतियों से बनी मस्जिद का भी निर्माण करवाया था, साथ ही औरंगजेब ने प्रवेश द्वार को और भी मनमोहक बनाने के लिये काफी कुछ बदलाव किये.
मुगल साम्राज्यों द्वारा किये गये किलो के निर्माण का औरंगजेब ने काफी पतन किया और 18 वी शताब्दी में मुगल शासनकाल में बने किलो और महलो को काफी क्षति भी पहोची. 1712 में जब जहंदर शाह ने लाल किले को हथिया लिया था तब तक़रीबन 30 सालो तक लाल किला बिना शासक के था. लेकिन शासनकाल के लागु होने के एक साल पहले ही शाह जहाँ की हत्या हो गयी और उनकी जगह फर्रुख्सियर ने ले ली. अपने राज्य की आर्थिक स्थिति सुधरने के लिये चाँदी की छत को कॉपर की छत में बदला गया. 1719 में लाल किले को रंगीला के नाम से प्रसिद्ध मुहम्मद शाह ने अपनी कलाकृतियों से सजाया. 1739 में पर्शियन शासक नादिर शाह ने आसानी से मुगल सेना को परास्त किया. बाद में नादिर शाह तीन महीने बाद पर्शिया वापिस आये, लेकिन जाने से पहले उन्होंने मुगल शहरो को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था. इस तरह से मुगल शासको के आंतरिक रूप से कमजोर होने के कारण ही शाहजहानाबाद का नाम दिल्ली पड़ा और 1752 में उन्होंने मराठाओ के साथ दिल्ली की सुरक्षा का समझौता कर लिया. 1758 में मराठाओ ने लाहौर पर विजय हासिल की और पेशवा भी अहमद शाह दुर्रानी से संघर्ष करते नज़र आ रहे थे. 1760 में मराठाओ ने राजस्व बढ़ाने के लिये दीवान-ए-खास की चाँदी की छत को हटा दिया, क्योकि अहमद शाह दुर्रानी की सेना को परास्त करने के लिये उन्हें भारी राजस्व की जरुरत थी. 1761 में जब मराठा पानीपत की तीसरी लढाई में हार गए थे तब अहमद शाह दुर्रानी ने दिल्ली पर छापा मारा. 10 साल बाद शाह आलम ने मराठाओ की सहायता से दिल्ली के तख़्त को हासिल कर लिया. 1783 में सिख मिसल करोरिसिंघिया ने बघेल सिंह धालीवाल के साथ मिलकर दिल्ली और लाल किले को हासिल कर लिया. लेकिन बाद में सिख शाह आलम को शासक बनाने के लिये राज़ी हो गये और यह समझौता किया गया की मुगल दिल्ली में सिख गुरुओ के लिये सात गुरुद्वारों का निर्माण करेंगे.
1803 में एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान दिल्ली के युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मराठा सेना को पराजित किया और लाल किले से मराठाओ के शासन को खत्म किया और ईस्ट इंडिया कंपनी ने लाल किले पर अपना नियंत्रण बनाया. युद्ध के बाद ब्रिटिश ने लाल किले को अपने अधीन ले लिया और उसे ही अपना निवास स्थान घोषित कर दिया. अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह द्वितीय ने आखिर 1857 की क्रांति के दौरान किले को हासिल कर ही लिया.
लेकिन इतनी विशाल मुगल ताकत होने के बावजूद 1857 के समय मुगल ब्रिटिशो के खिलाफ लाल किले को नहीं बचा पाये. ब्रिटिशो के खिलाफ पराजित होने के बाद बहादुर शाह द्वितीय ने 17 सितम्बर को ही लाल किला छोड़ दिया. बाद में वे ब्रिटिशो के कैदी बने लेकिन 1858 में उन्हें जाँचा परखा गया और उसी साल 7 अक्टूबर को उन्हें रंगून भेजा गया. मुगल शासन के खत्म होते ही शासन को ब्रिटिशो ने अपने हातो में ले लिया और मुगलों के सारे किलो को ब्रिटिशो ने हासिल कर लिया था. हासिल करने के बाद ब्रिटिशो ने किलो के फर्नीचर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और साथ ही किले के हरम, क्वार्टर और गार्डन को भी काफी क्षति पहोचाई और उनका भी विनाश किया. मुगलों ने बनाये मार्बल के महल ही केवल ब्रिटिशो के अत्याचार से बचे रहे, इनको छोड़कर बाकी सभी मुगल सामग्री को ब्रिटिशो ने ध्वस्त कर दिया था. और किलो की अमूल्य और कीमती धातुओ को क्षति पहोचाकर उन्हें लूट कर ले गये. देखा जाये तो किलो के 2/3 आंतरिक भाग को ब्रिटिशो ने ध्वस्त कर दिया था और किले में केवल अब मनमोहक दीवारे ही बची हुई है. लेकिन फिर 1899-1905 तक भारत राज करने वाले लार्ड कर्ज़न ने किलो की और किले की दीवारों की मरम्मत कराने का आदेश दिया. और साथ ही उन्होंने किलो में बने गार्डन को भी पानी देने का और उनमे सुधार करने का आदेश दिया.
1747 में नादिर शाह के हमला करने के बाद और 1857 में भारत का ब्रिटिशो के खिलाफ पराजित होने के बाद किले की ज्यादातर कीमती धातुओ को या तो लूट लिया गया था या तो वे चोरी चली गयी थी. कहा जाता है की ब्रिटिश शासको ने उन्हें प्राइवेट समूहों को बेंच दिया था और कुछ कीमती सामानों को ब्रिटिश म्यूजियम ले गये थे. कहा जाता है की आज भी उनके कीमती सामान ब्रिटिश लाइब्रेरी और अल्बर्ट म्यूजियम में रखा गया है. उदाहरण कोहिनूर हीरा, शाह जहाँ का हरे रंग का शराब का कप और बहादुर शाह द्वितीय का ताज लन्दन में रखा गया है. भारतीयों द्वारा की गयी बहोत सिफ़ारिशो को ब्रिटिश सरकार ने कई बार अमान्य किया है.
1911 में ब्रिटिश किंग और क्वीन दिल्ली दरबार को देखने आये थे. उन्हें दीखने के लिये उस समय बहोत से महलो और किलो की मरम्मत भी की गयी थी. इसके बाद लाल किले के आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम को भी ड्रम हाउस से मुमताज़ महल में स्थानांतरित किया गया.
INA की सुनवाई में, जिसे लाल किले की सुनवाई भी कहा जाता है, उसमे भारतीय राष्ट्रिय आर्मी (INA) के बहोत से ऑफिसरो को दरबार और युद्ध संबंधी प्रशिक्षण दिया गया था. पहली बार यह प्रशिक्षण 1945 में लाल किले पर नवम्बर और दिसम्बर में लिया गया था.
15 अगस्त 1947 को भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु ने लाहौर गेट पर भारतीय तिरंगा लहराया था. और तभी से हर स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते है और भाषण भी देते है जिसे राष्ट्रिय तौर पर प्रसारित किया जाता है.
आज़ादी के बाद लाल किले में कई बदलाव किये गये और लाल किले का लगातार सैनिक प्रशिक्षण के लिये उपयोग किया जाने लगा. 22 दिसम्बर 2003 तक लाल किला सैनिको की निगरानी में था. 2009 में CCMP (Comprehensive Conservation and Management Plan) ने लाल किले को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिये काफी निर्णय लिये.
लाल किले के बारे में कुछ रोचक बाते / Facts About Red Fort
1. लाल किला असल में सफ़ेद है !
जी हां, इसे कहते तो लाल किला है लेकिन असल में यह लाल रंग का नही बना है. आर्कियोलॉजिकल के भारतीय सर्वे के अनुसार किले के कुछ भाग निम्बू (लाइम) पत्थरो से बने हुए है. लेकिन जब सफ़ेद पत्थर ख़राब होने लगे थे तब उन्हें ब्रिटिशो ने लाल रंग दिया था.
2. किले की सीमान्त दीवारों पर उसका नाम है –
किले की ऊँची सीमान्त दीवारे होना मतलब किले की ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित करना. जबसे लाल किले को लाल रंग दिया गया है तभी से ब्रिटिशो ने इसका नाम रेड फोर्ट रखा और स्थानिक लोगो ने इसका रूपांतर करके किले का नाम लाल किला रखा.
3. लाल किले को कभी किला-ए-मुबारक भी कहा जाता था –
जैसा की हम सभी जानते है की वास्तविक रूप से Red Fort को किला-ए-मुबारक कहा जाता था. इस किले को तब बनाया गया था जब शाह जहाँ ने अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था.
4. लाल किले / Red Fort को बनाने में पुरे 10 साल लगे
हम सभी जानते है की उस समय में निर्माणकार्य करने के लिये पर्याप्त साधन और सुविधाये उपलब्ध नही थी. लेकिन उस समय के बेहतरीन आर्किटेक्ट उस्ताद हामिद और उस्ताद अहमद ने इसके निर्माण की शुरुवात 1638 में की थी और इसका निर्माणकार्य 1648 में पूरा हुआ था, मतलब इसे बनने में पुरे 10 साल लगे.
5. कोहिनूर हीरा इसके फर्नीचर का ही एक भाग है –
कोहिनूर हीरा शाह जहाँ के ताज का ही एक भाग था. जो ठोस सोने से बना हुआ था और जिसपर बहुमूल्य धातुए लगी हुई थी, उस ताज को पहनकर शाह जहाँ अपने दीवान-ए-खास में बैठते थे, कहा जाता है की कोहिनूर हीरा विश्व का सबसे कीमती हीरा है.
6. Lal Kila के मुख्य प्रवेश द्वार को लाहौर गेट कहा जाता है-
लाल किले के दो प्रवेश द्वार है – दिल्ली गेट और लाहौर गेट. शाह जहाँ के लाहौर के प्रति आकर्षण के कारण उसे लाहौर गेट का नाम दिया गया. क्योकि लोगो का सबसे ज्यादा आकर्षण भारत-पकिस्तान पर ही होता है.
7. किले में एक पानी का गेट भी है –
किले में एक पानी का निकास द्वार भी है. वैसे देखा जाये तो वह एक नदी का तट ही है और नदी का नाम यमुना नदी है. इतने सालो में नदी में काफी बदलाव हुआ है लेकिन नदी का नाम नहीं बदला.
8. लाल किला अष्टकोणीय आकार में बना हुआ है
बर्ड ऑय व्यू (Bird Eye View) को ध्यान में रखते हुए Red Fort को भी अष्टकोणीय आकार में बनाया गया.
9. समुचित रूप से इसे रंग महल भी कहा जा सकता है –
रंग महल – जिसका अर्थ रंगों के महल से है – असल में शासन की पत्नी और दासियों का निवास स्थान था. सम्राट काफी लकी था क्योकि वह खास महल के दाये में ही रहता था, ताकि वह आसानी से अपनी रानियों के साथ रात्रिभोज कर सके.
10. बहादुर शाह को उन्ही के Lal Kila में ब्रिटिशो ने बंदी बनाया था
ब्रिटिशो से परास्त होने के बाद बहादुर शाह को ब्रिटिशो ने उन्ही के महल में कैदी बना लिया था और दोषी पाए जाने के बाद उन्हें दीवान-ए-खास से निकलकर रंगून भेज दिया गया था.
11. पहले स्वतंत्रता दिवस से, हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री Red Fort पर ध्वज लहराकर भाषण देते है-
हर साल स्वतंत्रता दिवस को भारत के प्रधानमंत्री Red Fort पर तिरंगा लहराकर भाषण भी देते है. और यह परंपरा तभी से चलती आ रही है.
12. ब्रिटिशो ने किले को अवस्त्र कर दिया था
मुगल शासन के ख़त्म होते ही ब्रिटिशो ने Lal Kila को काफी क्षति पहोचाई, और किले पर ब्रिटिशो का अधिकार हो गया था. ब्रिटिशो ने किले में स्थापित बहुमूल्य रत्नों और धातुओ की लूट की और फर्नीचर को भी ध्वस्त कर दिया. इसीलिये कहा जाता है की बहुमूल्य लाल किले को ब्रिटिशो ने अवस्त्र कर दिया था.
13. लाल किला आज एक वर्ल्ड हेरिटेज साईट है –
2007 में यूनेस्को ने लाल किले के महत्त्व और इतिहास को देखते हुए उसे वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित किया. यह भारत के लिये काफी गर्व की बात है.

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